सर्कुलेशन में 2000 रुपये के नोटों का हिस्सा घटा

कोलकाता। संभव है कि साल-दो साल में 2000 रुपये के नोट कभी-कभार ही दिखें। आरबीआई बड़े मूल्य के नोटों की होर्डिंग पर लगाम कसने के लिए 2000 रुपये के नोटों के सर्कुलेशन में कमी लाता दिख रहा है। सर्कुलेशन में मौजूद कुल नोटों में 2000 रुपये के करंसी नोटों का अनुपात सालभर पहले 50 प्रतिशत था, जो अब 37 प्रतिशत पर आ गया है। वहीं 2000 रुपये के नोटों के लिए इंडेंट सालभर पहले के 350 करोड़ पीस से घटकर 15.1 करोड़ पीस पर आ गया है।ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि 500 रुपये और 1000 रुपये के बैंक नोटों को नवंबर 2016 में नोटबंदी के जरिए सिस्टम से बाहर करने के बाद जब 2000 रुपये के नोट जारी किए गए तो उनकी अवैध होर्डिंग शुरू हो गई। 500 रुपये के नोटों का सर्कुलेशन सालभर पहले के 23 प्रतिशत  से उछलकर 43 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जबकि फाइनैंशल इयर 2016 में सर्कुलेशन में रहे कुल नोटों में इसका प्रतिशत 48 पर्सेंट से कुछ कम था। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए कुल मांग इससे पिछले साल के मुकाबले 9.1 पर्सेंट ज्यादा था। हालांकि पिछले साल के मुकाबले बैंक नोटों की सप्लाइ कम थी। 10239.5 करोड़ बैंक नोटों की वैल्यू मार्च 2018 के अंत में सालभर पहले के मुकाबले 37.7 प्रतिशत बढ़कर 18 लाख करोड़ रुपये हो गई। बैंक नोटों का वॉल्यूम 2.1 पर्सेंट बढ़ा। वैल्यू के लिहाज से 500 और 2000 रुपये के बैंक नोटों का शेयर मार्च 2018 के अंत में सर्कुलेशन में रहे बैंक नोटों की कुल वैल्यू के 80.2 पर्सेंट पर पहुंच गई, जो सालभर पहले 72.7 पर्सेंट पर थी। इस बीच, आरबीआई वॉर्निश्ड बैंक नोट जारी करने की योजना बना रहा है ताकि उनका जीवन काल बढ़ाया जा सके और वे ज्यादा टिकाऊ हो सकें। आरबीआई ने कहा कि शुरुआत में ऐसा फील्ड ट्रायल बेसिस पर किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अनुभव से पता चलता है कि बैंक नोटों पर वॉर्निशिंग करने से उनकी लाइफ बढऩे की संभावना रहती है। साथ ही, बैंक नोट बदलने की जरूरत घटती है। इससे सुरक्षा मानकों के प्रकाशन की लागत घटतीहै। आरबीआई इस विचार पर सरकार के साथ बातचीत कर रहा है।

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